Saturday, July 24, 2010

एक आशा की किरन

एक बंद अधेरे कमरे में से आती रौशनी की एक किरण को न जाने कितनी आखो ने देखा होगा । मेने भी देखा है उस पतली और नन्ही सी रौशनी कोजो मुझे एक आत्म विश्वास से भर देती है यही आत्मविश्वास की भले ही आपके चारो और कितना ही घेहरा अँधेरा क्यों न हो पर आत्मविश्वास की एक किरण इस अंधकार को ख़तम करने क लिए पर्याप्त होती है। वो मिलो का सफ़र तय कर अँधेरे को चीरने के लिए बंद कमरे में आती रौशनी को क्या मिलता होगा शायद ये बात किसी ने सोचने की कोशिश नहीं की होगी। पर मेने की है एक कमजोर कोशिश क्युकी उस किरन की कोशिश क आगे मुझे अपनी कोशिश कमजोर सी लगती है हां तो में अपनी कोशिश क बारे में बात कर रही थी मुझे लगता लगता है की वो किरन को शयद वो स्न्तोष्टि मिलती होगी अँधेरे से डरते बच्चे का डर कम करते समय या फिर एक अँधेरे में भटकते राहगीर को दिखाते समय। ये वो आतम संतोष्टि है जो शायद तेज भूख लगने पर भोजन मिलने के बाद भी नहीं मिल पाती है। में चाहती हु वो रौशनी बनना जो अपने जीवन में फ़ले अँधेरे को दूर कर सके। ये आशा की किरन मुझे हमेशा प्रकाशित करती है।

No comments:

Post a Comment