हर पल भीड़ में रहने के बाद भी हमेशा खुद को अकेला पाते देखा है मेने। पर उस समय न जाने कहा से एक साया मेरे नाजुक कंधो पर अपना हाथ रख देता है और पल भर में अपने एहसास से मुझे भिगो देता है, पर अचानक जब पीछे मुड़कर देखती हु तो ना वहा कोई दिखाई देता है और ना ही उस हाथ का एहसास बाकि रहता है। लेकिन पहले और अब में एक अंतर जरुर आ जाता है और वो अंतर होता है जिमेदारी का वो अंतर होता है अपने अंदर आये नए विस्वास का जो मुझे एक उर्जा का एहसास दिलाता है। क्या आपको मेरी बात का विस्वास नहीं होता होना भी नहीं चाहिए क्यूकी विस्वास करने की नहीं बल्कि महसूस करने की बात है। और इसे महसूस किया जा सकता है जब कभी अपने आप को अकेला महसूस करो तो अपनी आखो को बंद करलो और अणि माँ और पिता के चेहरों को यद् करने की कोशिश करो देखना आपको भी अपने कंधो पर किसी क चुने का एहसास होगा । या फिर अपने बचे की वो पहली मुस्कान को यद् करने की कोशिश करना जो आपको देखकर बरबस ही उसके चेहरे पर खिल जाती है वो मुकन जरुर आपके अंदर एक विस्वास और उर्जा को भर देगी ये उर्जा आपको एहसास दिलाएगी की आपको अभी कई जिमेदारी को निभाना है जो आज भी आपके कंधो पर मोजूद है ।
वो कंध न जाने फिर कितने ही एहसासों को अपने ऊपर महसूस करेगा ।और फिर एक अकेला होता रही चल देगा अपने कारवे की और एक जहा एक नयी रौशनी हर पल उसके साथ है।
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