Saturday, September 11, 2010
24 तारीख को आने वाले फैसले के बाद राम के •ाक्त और रहीम के बंदे अपने मालीक को जमीन का वो टुकड़ा देने की कोशिश करेगे जिसपर उनका खुदका •ाी मालीकाना हक नहीं है। अपनी एक छोटी सी जिद्द के पीछे ये •ाक्त और बंदे •ाुल गए है कि ये किसको जमीन का टुकड़ा दिलावाना चाहते है? ये उस मालीक को छत देना चाहते है जिसके हुक्म और आर्शीवाद से हमे यहे कायनात नसीब हुई है। जो इस कायनात का मालिक है जिसके जरे- जरे पर उसी का हक है जो सबका मालीक एक है। जिसके कई नाम है उसे ही दो नामों मे तौलकर हम उसे उस जमीन का लालच देना चाहते है। अगर देना ही चाहते हो तो उसे वो दो जो आपका है उसी का उसको देने से क्या मतलब है। रखना ही चाहते हो तो उसे अपने दिल में रखो , बसाना चाहते हो तो उसे दिल में बसाओं, ईबादत करना चाहते हो तो उसकी ईबादत अपने दिल में करो। जिसपर आपका हक है। जो इस पूरी दुनिया का राजा है जिसे तुम अपना मालीक मानते हो उसे अपने दिल में तो राज करने दो देखना मंदीर और मज्जिद तो आपको अपने दिल में नजर आएगे। वरना एक बार फिर कवी प्रदीप का वह गीत लोगों के कानों में सुनाई देगा राम के •ाक्त रहीम के बंदे रचते आज फरेब के धंधे इन्ही की काली करतुतों बना ये मुल्क मसान कितना बदल गया इन्सान।
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